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Mahatma Gandhi Ka Jivan Parichay, Mahatma Gandhi Story Biography History in Hindi

 महात्मा गांधी का जीवन परिचय Mahatam Gandhi ka Jivan Parichay Mahatama Gandhi Story Biography History in Hindi

Mahatma Gandhi Ka Jivan Parichay, Mahatma Gandhi Story Biography History in Hindi


मोहनदास करमचंद गांधी - महात्मा गांधी (Mahatma Gandhi)


महात्मा गांधी ( Mahatma Gandhi), भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के प्रेरणास्त्रोत, धर्मनिरपेक्षता के प्रतीक और एक महान नेता रहे हैं। उनके अनुयायियों के लिए वे "बापू" के नाम से पुकारे जाते हैं। उनके जीवन की यह चरित्रिक वृत्तचित्रण उनके योगदान को समझने में मदद करेगा।


मोहनदास करमचंद गांधी (Mohandas Karamchand Gandhi) का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को पोरबंदर, गुजरात में हुआ था। उनका परिवार बनिया समुदाय से था। उनके पिता का नाम करमचंद गांधी था और मां का नाम पुतलीबाई था। उनका बचपन सरल और आदर्शपूर्ण था। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा पोरबंदर में प्राप्त की और आगे की पढ़ाई इंग्लैड में पूरी की।


महात्मा गांधी ने आध्यात्मिकता का ज्ञान युगपुरुष रविन्द्रनाथ टैगोर के नेतृत्व में शांतिनिकेतन में प्राप्त की, जहाँ उन्होंने धार्मिकता और समाज के मुद्दों के प्रति अपने दृष्टिकोण को समझा। वहाँ से महात्मा गांधी ने सार्वजनिक जीवन में आये और भारतीय समाज की समस्याओं के प्रति अपने स्वयं के विचारों को समझाने का काम किया।


सत्याग्रह और आदर्श: महात्मा गांधी (Mahatma Gandhi) ने असहमति के बावजूद भी अपने आदर्शों और सत्य के प्रति अडिग आस्था के साथ समाज में सुधार की कड़ी मेहनत की। उन्होंने सत्याग्रह के माध्यम से अंग्रेजों के खिलाफ संघर्ष किया, जिसमें वे समृद्धि और दांडी मार्च जैसे महत्वपूर्ण आंदोलनों का प्रमुख नेता थे।




हरिजन आंदोलन: महात्मा गांधी (Mahatma Gandhi) ने 'हरिजन' (दलित) शब्द का प्रयोग किया और दलितों के सामाजिक सुधार की ओर दिशा देने का प्रयास किया। उन्होंने उनके साथ मिलकर काम किया और उनकी असमानता के खिलाफ आवाज उठाई।

स्वतंत्रता संग्राम: महात्मा गांधी (Mahatma Gandhi) का सबसे प्रमुख कार्य भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में भाग लेना था। उन्होंने असहमति के आदर्श पर नौकरशाही त्यागी और असहमति के माध्यम से ब्रिटिश साम्राज्य के खिलाफ संघर्ष किया।

समाज सुधार: महात्मा गांधी (Mahatma Gandhi) ने सिर्फ राजनीतिक स्वतंत्रता ही नहीं, बल्कि समाज में सुधार भी प्राप्त करने का आदर्श दिखाया। उन्होंने आपातकालीन स्थितियों में भी नैतिकता और सख्तता के साथ सहयोग दिया।


आस्थाएँ और मृत्यु: 1947 में भारत को स्वतंत्रता मिली और उसके बाद महात्मा गांधी ने राजनीतिक कार्य से संन्यास ले लिया। वे 30 जनवरी 1948 को नई दिल्ली (New Delhi) में गोली मारकर हत्या कर दिए गए।


समापन: महात्मा गांधी (Mahatma Gandhi) का योगदान भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में एक महत्वपूर्ण भाग था। उनके विचार और आदर्श आज भी हमारे समाज में प्रेरणा के स्रोत हैं। उनके योगदान ने न केवल भारत को स्वतंत्रता दिलायी, बल्कि समाज में सुधार की दिशा में एक मार्ग दिखा।


महात्मा गांधी के जीवनी से हमें यही सिख मिलती है कि सत्य, अहिंसा, सहानुभूति, संघर्ष के बिना जीवन में परिवर्तन की संभावना नहीं हो सकती है। उनका आदर्श हमें यह दिखाता है कि छोटी सी कोशिश से भी बड़े परिवर्तन लाये जा सकते हैं।


महात्मा गांधी (Mahatma Gandhi) की जीवनी हमें उनके महान कार्यों, सोच, आदर्शों, अंहिसावादी सोच और उनके संघर्षों का एक अद्वितीय दृष्टिकोण देता है। उनका योगदान भारतीय समाज को एक नयी दिशा दिखाने में महत्वपूर्ण रहा है और उनकी आत्मा हमें आगे बढ़ने की प्रेरणा देती है।






महात्मा गांधी (Mahatma Gandhi) के बारे में 5 कहानियाँ (Stories)


1. एक बार महात्मा गांधी ट्रेन का सफर कर रहे थे। उसके साथ में अन्य मुसाफिर भी सफर कर रहे थे। उन्ही में से एक मुसाफिर ने बोला, " महात्मा जी आपके पास तो बहुत सारे अनुयायी है, तो फिर आप इतने साधारण और हम जैसे आम लोगों के साथ सफर कैसे कर सकते हो?" महात्मा गाधी से मुस्काराये और फिर बोले, " मुसाफिर, इस ट्रेन में भी बहुत से साधारण लोग सफर कर रहे हैं, तो मैं यहाँ बस इसलिए हूँ ताकि इनको भी मैं सिखा सकूं कि हमें सामाजिक बंधनों को कैसे समझना और समझाना है।"



2. तालाब का आदर: महात्मा गाँधी एक बार एक गांव के सफर पर निकले। वहाँ पर उन्होने देखा की तालाब बहुत गंदा और प्रदूषित है। तब वह वहां रहने वाले व्यक्तियों से मिले, और उस तालाब को साफ करने के लिए कहाँ। गाँव के बहुत से व्यक्ति तालाब की सफाई के लिए आगे बढ़े, और साथ में महात्मा गांधी भी तालाब की सफाई करने में पूरी मदद की। इस छोटी सी कहानी से हमें सीख मिलती है कि हमें प्राकृतिक संसाधनों हमारे लिए कितना महत्वपूर्ण है और हमें उसके लिए सदा आभारी होना चाहिए।

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3. सत्याग्रह की शिक्षा:  ये कहानी तब कि है जब महात्मा गांधी (Mahatma Gandhi) दक्षिण अफ्रीका में रह रहे थे, वहाँ उनके साथी ने महात्मा गांधी से कहा- कि वे जो चीजें अच्छी तरह से पढ़ सकते हैं, वे उन्हें देखने के बाद अपने अंदर समर्पित हो जाती हैं। महात्मा गांधी (Mahatma Gandhi) ने इसे देखकर एक पत्थर की कुर्सी पर बैठकर भाषण दिया और बाद में उस कुर्सी को एक चौपाल में स्थापित कर दिया। इससे सत्याग्रह की शिक्षा का संकेत मिलता है कि कैसे एक साधारण चीज भी महत्वपूर्ण हो सकती है।


4. अहिंसा की महत्वपूर्णता: इस कहानी में महात्मा गांधी (Mahatma Gandhi) के विचारों में अहिंसा का बड़ा महत्व बताया गया है। एक बार उन्हें एक मांसाहारी व्यक्ति ने प्रश्न किया कि अगर उन्होंने उसके बच्चों को मार दिया तो क्या यह अहिंसा होगी? महात्मा गांधी (Mahatma Gandhi) ने उत्तर दिया, "यदि मैं तुम्हारे बच्चों को मारता हूँ तो क्या तुम उनकी रक्षा के लिए मुझे मारोगे?" इससे हमें अहिंसा की असली मानसिकता की समझ मिलती है।


5. त्रैमासिक परीक्षा: महात्मा गांधी (Mahatma Gandhi) ने अपने बच्चों को सद्गति की ओर मार्गदर्शन करने के लिए एक अनोखी त्रैमासिक परीक्षा का आयोजन किया था। हर माह, वे अपने बच्चों को तीन सवाल पूछते थे, जिनमें सीख और नैतिकता से संबंधित मुद्दे शामिल थे। यह प्रक्रिया उनके बच्चों को सद्गति की ओर मार्गदर्शन करने के लिए एक महत्वपूर्ण तरीका था।


ये कहानियाँ महात्मा गांधी के विचारों, आदर्शों, अहिंसावादी सोच और उनके जीवन में घटित घटनाओं को प्रकट करती हैं। वे हमारे समाज में नैतिकता, साहस, समर्पण, और सद्गति के महत्व को समझाने वाले उत्कृष्ट उदाहरण थे।






महात्मा गाँधी (Mahatma Gandhi) से 10 सीखने योग्य बातें


महात्मा गांधी (Mahatma Gandhi) के विचार और आदर्श हमें कई महत्वपूर्ण सीखने योग्य बातें प्रदान करते हैं। यहाँ कुछ ऐसी बातें हैं जो हम सभी को महात्मा गांधी से सीखने चाहिए:


  • महात्मा गांधी का आदर्शी नारा था "अहिंसा परमो धर्मा"। उनकी अहिंसा के प्रति अडिग आस्था और उनका यात्रा प्राणीरूपी किन्नरों जितनी अपने जीवन में अहिंसा का पालन करने की प्रेरणा है।


  • गांधीजी का मानना था कि सत्य और ईमानदारी कभी भी हार नहीं मानते। उन्होंने सत्य के लिए अपने जीवन को समर्पित किया और सत्य का पालन करने की प्रेरणा दी।


  • गांधीजी के अनुसार, साहस और सहानुभूति की आवश्यकता है ताकि हम समस्याओं का समाधान कर सकें। उन्होंने आपातकाल में भी अपनी सहानुभूति को दिखाया और उनका साहस दुश्मनों को भी आत्मा में बदल दिया।


  • गांधीजी ने यह सिखाया कि हमारे अंदर सामर्थ्य होता है, बस हमें उसे पहचानने की आवश्यकता है। वे कम से कम आवश्यकताओं के साथ भी संतुष्ट रहने की आवश्यकता को समझाते थे।


  • गांधीजी ने उच्च-निम्न जाति के बीच सामाजिक समानता की प्रेरणा दी। उन्होंने उन्हें एक साथ खेती करने, एक साथ खाने की प्रेरणा दी और उनकी समाज में समानता की दिशा में प्रयास किया।


  • महात्मा गांधी (Mahatma Gandhi) ने अपने जीवन में सरलता और विनम्रता का पालन किया। उनका आदर्श हमें बताता है कि किसी भी परिस्थिति में अपनी आत्मा को सरलता और विनम्रता से आगे बढ़ने की कला को सीखना चाहिए।


  • गांधीजी ने सत्य के लिए संघर्ष करने की जरूरत को समझाया। उन्होंने दिखाया कि सफलता के लिए बहुत मेहनत की आवश्यकता होती है, और यह मेहनत शांतिपूर्ण तरीकों से किया जा सकता है।


  • गांधीजी ने आत्म-नियंत्रण और संयम के जरूरत को समझाया। उन्होंने यह सिखाया कि हमें अपने सातों ज्ञानेन्द्रियों को नियंत्रित करने की कला को सीखना चाहिए।


  • गांधीजी ने हमें दिखाया कि कभी-कभी अच्छे और निराशाजनक दिनों में भी विकल्पों की खोज करने के रास्ते को तलाश करना चाहिए।


  • महात्मा गांधी की श्रम-सेवा की भावना ने हमें यह सिखाया कि हमें समाज की सेवा करने की प्रेरणा होनी चाहिए। वे स्वयं को जनता के सेवक मानते थे और इसी आदर्श के साथ हमें भी आगे बढ़ने की प्रेरणा मिलती है।


  • महात्मा गांधी की ये सीखने योग्य बातें हमें जीवन की दिशा में मार्गदर्शन करती हैं और हमें अच्छे मार्ग पर चलने की उत्साहित करती हैं।





महात्मा गाँधी (Mahatma Gandhi) के द्वारा इतिहास में किये गये महत्वपूर्ण आन्दोलन-


महात्मा गांधी (Mahatma Gandhi) के जीवन में कई महत्वपूर्ण आंदोलन हुए जिन्होंने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम को नया दिशा दिया और उनके निष्कर्षों में महत्वपूर्ण बदलाव लाया। यहाँ कुछ महत्वपूर्ण आंदोलन और उनके निष्कर्ष दिए गए हैं:


चंपारण सत्याग्रह(Champaran Satyagraha) (1917): चंपारण आंदोलन ने किसानों के अत्याचार और बेहाली के खिलाफ सत्याग्रह की शुरुआत की थी। गांधीजी ने उन किसानों का साथ दिया जो इंग्लैंडी जमींदारों की बदमाशी और आत्याचारिकता का सामना कर रहे थे। आंदोलन का परिणामस्वरूप इंग्लैंडी जमींदारों ने किसानों के प्रति न्याय किया और इससे किसानों के लिए सुधार हुआ।


विस्तृत वर्णन- 

चम्पारण सत्याग्रह, भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का महत्वपूर्ण प्रमुख घटना था, जो 19 अप्रैल 1917 से 6 जून 1917 तक बिहार के चम्पारण जिले में आयोजित हुआ था। इस सत्याग्रह का मुख्य उद्देश्य था किसानों के खेतों में 3/20 भाग पर नील की खेती करनी ही पड़ती थी। नील की खेती करने से किसान की भूमि बंजर हो जा रही थी इसी के खिलाफ ब्रिटिश सरकार से लड़ाई थी, और उनके अधिकारों की रक्षा करना।

यह सत्याग्रह महात्मा गांधी (Mahatma Gandhi) के नेतृत्व में हुआ था। जिन्होंने चम्पारण आने के बाद वहां किसानों के साथ मिलकर उनके आरोपों की जांच की और सत्याग्रह की शुरुआत की। इस सत्याग्रह में किसानों ने अपने खेतों के उपयोग के खिलाफ करने वाले ब्रिटिश मालिकों के खिलाफ अपने आवाज उठाई।

चम्पारण सत्याग्रह के मुख्य तत्व थे:

  • भूमिहीनता और भूमि की अधिग्रहण: चम्पारण क्षेत्र के किसानों की प्रमुख समस्या थी भूमिहीनता, जिसका कारण था कि वे अपनी खेतों को नहीं बो सकते थे अगर उसमें कोई उत्पादन होता तो उसका आधा भार ब्रिटिश सरकार को देना होता था चम्पारण सत्याग्रह के तहत, किसान भूमि की अधिग्रहण करने के खिलाफ महात्मा गाँधी उतरे और अपने अधिकारों की मांग की।


  • महात्मा गांधी की नेतृत्व: महात्मा गांधी (Mahatma Gandhi ने इस सत्याग्रह को नेतृत्व किया और वे यहां एक आदर्श तरीके से सत्याग्रह का परिचय देने के लिए आए। उन्होंने इस सत्याग्रह को आयोजित किया जिसमें आपसी सद्भावना, विश्वास और समर्थन की भावना को मजबूती से बढ़ावा दिया।


  • सत्याग्रह की विधियाँ: महात्मा गांधी जी ने सत्याग्रह को अहिंसा, और आदर्श आचरण की आधारभूत विधियों के साथ आयोजित किया। वे चम्पारण के किसानों को ब्रिटिश सरकार के खिलाफ अपने अधिकारों की रक्षा करने के लिए प्रेरित किया और उसके साथ कदम से कदम मिलाकर चले, और उन्होंने आवश्यकता अनुसार आवश्यक गतिविधियों का प्रयोग किया।


  • सफलता: चम्पारण सत्याग्रह ने अपने मुख्य उद्देश्यों को ब्रिटिश सरकार को माननी पड़ी। इसके परिणामस्वरूप, ब्रिटिश सरकार ने चम्पारण क्षेत्र के किसानों के लिए कुछ भूमि की वापसी की और उनके खेतों की अधिग्रहण को नियंत्रित किया।

चम्पारण सत्याग्रह ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में सत्याग्रह की महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और यह दिखाया कि अहिंसा और आपसी सहमति का माध्यम ब्रिटिश साम्राज्य के खिलाफ सशक्त है। इसके परिणामस्वरूप, यह सत्याग्रह भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के अन्य क्षेत्रों में भी प्रेरणा स्त्रोत बना।


खिलाफत आंदोलन(Khilafat movement) (1919-1922): खिलाफत आंदोलन ने मुस्लिम समुदाय के अधिकारों की रक्षा , और ब्रिटिश सरकार के बढ़ते अत्याचार के खिलाफ प्रदर्शन था। महात्मा गांधीजी ने भारतीयों के साथ मिलकर इस आंदोलन का समर्थन किया और सामाजिक समरसता की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाया।


विस्तृत वर्णन- 

खिलाफत आंदोलन, भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का एक महत्वपूर्ण भाग था, जिसका मुख्य उद्देश्य था खिलाफत समुदाय की समर्थन प्राप्त करके ब्रिटिश साम्राज्य के खिलाफ स्वतंत्रता प्राप्त करना। यह आंदोलन भारतीय मुस्लिम समुदाय के द्वारा आयोजित किया गया था लेकिन इसमें ब्रिटिश साम्राज्य के खिलाफ विरोध की भावना भी थी।

आंदोलन के उद्देश्य:

  • खिलाफत समुदाय के अधिकारों की रक्षा: आंदोलन का मुख्य उद्देश्य था खिलाफत समुदाय के अधिकारों की सुरक्षा करना, खासकर उनकी धार्मिक स्थलों की रक्षा करना और उनके सामाजिक और आरामपूर्ण जीवन की सुरक्षा में मदद करना।


  • खिलाफत आंदोलन की मांगों की पूरी करना: खिलाफत समुदाय की दो महत्वपूर्ण मांगें थी - एक, तुर्की सल्तनत के अलावा किसी दूसरी खिलाफत की स्थापना नहीं करने की जिसमें सभी आधिकार ब्रिटिश सरकार को देना होगा, और दूसरा, तुर्की सल्तनत की स्वतंत्रता और खिलाफत की स्वायत्तता की रक्षा करना।

मुख्य घटनाएँ:

  • खिलाफत कानून (khilafat law) (1919): इस आंदोलन की शुरूआत ब्रिटिश सरकार के द्वारा पारित किए गए "खिलाफत कानून" के विरूद्ध थी। इस कानून में तुर्की सल्तनत के सभी अधिकारों का खत्म किया गया था।तुर्की के खिलाफत समुदाय मुस्लमान इसे अपनी धार्मिक और सामाजिक भावनाओं की धमकी मानकर अपनी प्रतिक्रिया दिखाई और आंदोलन की शुरुआत कर दी।


  • गांधीजी की सहायता: महात्मा गांधी ने भी खिलाफत समुदाय के आंदोलन का समर्थन किया और उनके साथ मिलकर इस आंदोलन का नेतृत्व किया। उन्होंने आंदोलन को अहिंसक आंदोलन के रूप में शुरू किया, और खिलाफत समुदाय की मांगों के समर्थन में संघर्ष किया।


  • हिंद-मुस्लिम एकता: खिलाफत आंदोलन ने हिंदू-मुस्लिम एकता की मिशाल देखने को मिली और इस दौरान दोनों समुदायों के लोगों ने एक साथ मिलकर लड़ाई लड़ी। जो एकजुट होकर ब्रिटिश साम्राज्य के खिलाफ सामूहिक विरोध दिखायी दिया।


  • अल-खिलाफत समिति: 1919 में अल-खिलाफत समिति की स्थापना हुई, जिसका उद्देश्य था खिलाफत समुदाय की सभी मांगों की जांच करना और उनकी रक्षा करना।

सफलता और प्रभाव:

  • महत्वपूर्ण भूमिका: खिलाफत आंदोलन ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी, और खिलाफत समुदाय को स्वतंत्रता संग्राम में भाग लेने का अवसर प्रदान किया।


  • खिलाफत समझौता: 1920 में, खिलाफत समझौता का स्वीकृति मिला, जिसमें ब्रिटिश सरकार ने खिलाफत समुदाय के कुछ मांगों को मान लिया, जैसे कि ताजा टैक्स की रद्दी और मुस्लिम सामाजिक स्थलों की सुरक्षा।


  • हिंद-मुस्लिम एकता: खिलाफत आंदोलन ने हिंद-मुस्लिम एकता को बढ़ावा मिला, और दिखाया कि भारतीय स्वतंत्रता संग्राम एक सामूहिक प्रयास है, जिसमें सभी समुदाय समर्थन देने में जुटे हैं।

खिलाफत आंदोलन का एक महत्वपूर्ण परिणाम यह था कि यह भारतीय स्वतंत्रता संग्राम को एक बड़े स्तर पर एकत्रित करने में मदद मिली, और खिलाफत समुदाय को उनके मांगों की पूरी करने में साझेदार बनाया।


सन 1920 में : असहयोग आंदोलन (Non Co-operation Movement)

असहयोग आंदोलन (Non-Cooperation Movement) भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का महत्वपूर्ण प्रमुख आंदोलन था, जो सन् 1920- 1922 तक चला। इस आंदोलन का मुख्य उद्देश्य था भारतीय लोगों को ब्रिटिश साम्राज्य के खिलाफ असहयोग करने की ओर प्रोत्साहित करना और भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की दिशा में एक नई दिशा प्रदान करना था।

महत्वपूर्ण तथ्य:

  • मुख्य नेता: इस आंदोलन के मुख्य नेता थे महात्मा गांधी और सहयोगी नेता थे लाला लाजपत राय, मोतीलाल नेहरू, बालगंगाधर तिलक, राजेंद्र प्रसाद, इत्यदि अन्य महत्वपूर्ण स्वतंत्रता संग्रामी थे।

  • आंदोलन का आरंभ: असहयोग आंदोलन का प्रारंभ 1920 में खिलाफत आंदोलन के समय ही हुआ था, जब खिलाफत और नौसेना सैन्य के जवानों ने जालियांवाला बाग हत्याकंड में ब्रिटिश साम्राज्य ने हिंसक प्रहार किया। तो इसके बाद, महात्मा गांधी ने ब्रिटिश साम्राज्य के खिलाफ असहयोग का प्रस्ताव दिया।

  • आंदोलन की जीतने की मांग: आंदोलन की मुख्य मांग थी कि भारतीय लोग ब्रिटिश साम्राज्य का सहयोग न करें, जैसे कि सरकारी नौकरियों में शामिल न हों, विद्या न प्राप्त करें, और ब्रिटिश वस्त्र पहनना, विद्दालय न जाना सब बंद कर दिया।


  • अहिंसा का पालन: असहयोग आंदोलन के दौरान, महात्मा गांधी और उनके अनुयायी अहिंसा का पूरी तरह से पालन करते थे और भारतीय स्वतंत्रता संग्राम को एक अहिंसक आंदोलन के रूप में प्रस्तुत किया।

परिणाम:

असहयोग आंदोलन (Non-Cooperation Movement) ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम को नई दिशा मिली। इस आंदोलन ने ब्रिटिश साम्राज्य के खिलाफ भारतीय जनता को एकत्रित कर दिया, और उन्हें स्वतंत्रता संग्राम में भाग लेने के लिए उत्साहित किया। इसके परिणामस्वरूप, असहयोग आंदोलन ने ब्रिटिश सरकार को भारत की स्वतंत्रता की मांग पर दबाव डाला और ब्रिटिश साम्राज्य के खिलाफ जनमानस को उत्तेजित किया।

हालांकि असहयोग आंदोलन (Non-Cooperation Movement) के दौरान ही "चौरी चौरा" हत्याकांड की वजह से आंदोलन को बंद करना पड़ा, लेकिन यह आंदोलन भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के लिए महत्वपूर्ण कदम था और यह दिखाता है कि अहिंसा और सामाजिक असहमति के बावजूद भारतीय लोग किसी भी महत्वपूर्ण मुद्दे के लिए एकत्र हो सकते है।

"चौरा-चौरी हत्याकांड" (Chaura-Chauri incident)

"चौरा-चौरी हत्याकांड" (Chaura-Chauri incident) भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास में एक महत्वपूर्ण घटना थी, जिसके चलते महात्मा गांधी द्वारा चलाए जा रहे "असहयोग आंदोलन (Non-Cooperation Movement)" को बंद करा दिया और भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के नए चरण की शुरुआत की।

महत्वपूर्ण घटना:

  • 5 फरवरी 1922 को, एक समूह भारतीय स्वतंत्रता संग्रामी ने उत्तर प्रदेश के गोरखपुर जिले के चौरी-चौरा गांव के पुलिस थाने की ओर बढ़ते हुए स्वतंत्र संग्रामी के द्वारा हिंसा की घटना हुई।

  • उस समय, स्वतंत्रता संग्रामी द्वारा अधिकारियों और पुलिस के साथ हिंसक झड़प हुआ था, और जब पुलिसकर्मियों ने एक स्वतंत्रता संग्रामी को पीट-पीट के मार दिया, तो भारतीए स्वतंत्रता संग्रामीयों ने पुलिस थाने पर हमला बोल दिया।

  • इस हमले के बाद, स्वतंत्रता संग्रामीयों ने पुलिस स्टेशन में आग लगा दी और कई पुलिसकर्मी जल कर मर गये।

  • इस चौरी-चौरा हत्याकांड के बाद, महात्मा गांधी ने असहयोग आंदोलन (Non-Cooperation Movement) को बंद कर दिया, क्योंकि वह नहीं चाहते थे कि स्वतंत्रता संग्राम अहिंसक दुश्मनी की बजाय हिंसक रूप में हो। महात्मा गांधी चौरी-चौरा हत्याकांड को भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की दिशा में एक दुर्भाग्यपूर्ण घटना मानते थे।

  • गांधीजी ने असहयोग आंदोलन (Non-Cooperation Movement) को बंद करते समय यह कहा कि स्वतंत्रता संग्राम के लिए भारतीय लोगों को और अधिक सजग और अनौपचारिक तरीके से काम करने की जरूरत है, और उन्होंने खुद को असहयोग आंदोलन से हटा दिया।

  • असहयोग आंदोलन के बाद महात्मा गांधी को जेल हो गयी, क्यों ब्रिटिश सरकार महात्मा गांधी को जिम्मेदार मानती है, जिससे गांधी जो को 6 वर्ष की जेल हो जाती है।

परिणाम:

"चौरा-चौरी हत्याकांड" (Chaura-Chauri incident) ने असहयोग आंदोलन (Non-Cooperation Movement) को बंद कर दिया और महात्मा गांधी ने आंदोलन के परिणामस्वरूप अपना जिवन को अहिंसक तरीके से स्वतंत्रता संग्राम में समर्पित किया।

सन 1930 में : सविनय अवज्ञा आंदोलन / नमक सत्याग्रह आंदोलन / दांडी यात्रा [Civil Disobedience Movement / Salt Satyagrah Movement / Dandi March)

सविनय अवज्ञा आंदोलन (Civil Disobedience Movement)

सविनय अवज्ञा आंदोलन, जिसे "Salt Satyagrah Movement" भी कहा जाता है, भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का एक महत्वपूर्ण प्रमुख अध्याय था, जिसका उद्देश्य था ब्रिटिश सरकार के खिलाफ विरोध करके नमक का अधिकार प्राप्त करना और ब्रिटिश कर नियमकों का उल्लंघन करना। यह आंदोलन महात्मा गांधी के नेतृत्व में 1930 में आयोजित किया गया था।

मुख्य प्रमुखताएँ:

  • नमक के अधिकार की मांग: सविनय अवज्ञा आंदोलन (Disobedience Movement) का मुख्य उद्देश्य था कि भारतीय लोगों को नमक के उत्पादन करने और बेचने दे, और ब्रिटिश सरकार के द्वारा लगे टैक्स के खिलाफ विरोध करना और नमक का स्वतंत्रता से उपयोग करने का अधिकार प्राप्त करने के लिए सविनय अवज्ञा आंदोलन (Disobedience Movement था।

  • अहिंसा का पालन: महात्मा गांधी जी अपने हर आंदोलन में अहिंसा का पालन करना प्रमुख उद्देश्य होता था और इस आंदोलन में भी गांधीजी ने अहिंसा का पालन किया और नमक की अवैध उत्पादन और बेचने के खिलाफ लोगों को उत्साहित किया। उन्होंने नमक की अवैध उत्पादन और बेचने का आरोप लगाया और इसे ब्रिटिश सरकार ने नियमयों का उल्लंघन माना।

महत्वपूर्ण घटनाएँ:

  • दांडी मार्च: सविनय अवज्ञा आंदोलन के दौरान ही, महात्मा गांधी ने सबरमती आश्रम से दांडी नामक स्थान तक एक पैदल मार्च किया, जिसे "दांडी मार्च" कहा जाता है। उन्होंने वहां पहुंचकर नमक बनाया, और ब्रिटिश सरकार के कानून का तोड़ दिया। इस दांडी मार्च ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की एक नई दिशा को दर्शाया और ब्रिटिश सरकार के खिलाफ प्रभावी तरीके से आवाज बुलंद की।

  • समझौता: सविनय अवज्ञा आंदोलन (Disobedience Movement) के बाद, ब्रिटिश सरकार और महात्मा गांधी के बीच समझौता हुआ, जिसे "सल्ट सैट्टलमेंट" कहा जाता है। इसमें ब्रिटिश सरकार ने नमक की उत्पादन और बेचने पर कर में कमी की जो आंदोलन को बंद करने की मांग, और महात्मा गांधी ने आंदोलन को समाप्त किया।

परिणाम:

सविनय अवज्ञा आंदोलन (Disobedience Movement) ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम को एक नई दिशा में ले जाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, और इसने ब्रिटिश सरकार को भारत से अंग्रेज राज को समाप्त करने की मांग को मजबूत किया। इसके बाद, ब्रिटिश सरकार ने खुद को भारत से अलग करने का फैसला किया और 1947 में भारत को स्वतंत्रता प्राप्त हो गई।


भारत छोड़ो आंदोलन (Quit India Movement) (1942): इस आंदोलन के माध्यम से गांधीजी ने ब्रिटिश साम्राज्य के खिलाफ बड़ा प्रदर्शन किया और "भारत छोड़ो" की मांग उठाई। यह आंदोलन ब्रिटिश साम्राज्य को प्रभावित किया और स्वतंत्रता संग्राम में नए ऊर्जा की तरह काम किया।


गांधीजी के जीवन के ये आंदोलन और उनके निष्कर्ष हमें यह सिखाते हैं कि सत्य, अहिंसा, और साहस के माध्यम से बदलाव लाया जा सकता है और सामाजिक सुधार के लिए हमें सही मार्ग पर चलना चाहिए।


विस्तृत वर्णन- 

"भारत छोड़ो आंदोलन" जिसे "Quit India Movement" भी कहा जाता है, भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का महत्वपूर्ण प्रमुख अध्याय था, जिसने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम को नए ऊंचाइयों तक ले जाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। यह आंदोलन 1942 में भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के नये चरण का आगाज़ करने के लिए महात्मा गांधी द्वारा आयोजित किया गया था।

विवरण:

द्वितीय विश्वयुद्ध (Second World War) के दौरान भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने ब्रिटिश सरकार को सहायता के लिए प्रस्ताव पारित किया था, जिसे "Industrial hardening" के नाम से जाना जाता है। इसका मतलब था कि भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की स्थिति को और भी बिगड़ने से बचाया जाए। लेकिन ब्रिटिश सरकार ने इस प्रस्ताव को स्वीकार नहीं किया, जिससे भारतीय स्वतंत्रता संग्रामी नेता महात्मा गांधी (Mahatma Gandhi) ने नए आंदोलन की योजना बनाई।

आंदोलन की शुरुआत:

8 अगस्त 1942 को महात्मा गांधी (Mahatma Gandhi ने अहमदाबाद में एक सत्याग्रह के माध्यम से "Quit India Movement" की शुरुआत की। इस आंदोलन के समय भारत को वायसराय "लिनलोथगो" थे। इस आंदोलन का मुख्य उद्देश्य था ब्रिटिश सरकार से तत्काल स्वतंत्रता प्राप्त करना और ब्रिटिश सरकार को भारत से अंग्रेज राज को समाप्त करने के लिए खत्म करने की मांग थी।

महत्वपूर्ण घटनाएँ:

  • "कड़क सिंग" और "दंगा": आंदोलन के दौरान ब्रिटिश सरकार ने महात्मा गांधी और अन्य नेताओं को गिरफ्तार कर लिया और आंदोलन को दबाने की कोशिश की। "कड़क सिंग" नामक एक विशेष विचारशील नेता ने भी इस आंदोलन में भाग लिया था और दंगा मचाने का आरोप लगाया गया।

"आज़ाद हिन्द फौज": आंदोलन के दौरान, सुभाष चंद्र बोस द्वारा "आज़ाद हिन्द फौज" का नेतृत्व किया,"आजाद हिंद फौज" की शुरूआत रासबिहारी बोस ने किया था। जिसने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की नई दिशा की ओर कदम बढ़ाया।
  • आंदोलन के उत्तराधिकारी घटनाएँ: आंदोलन के दौरान विभाजन, हिंसा और विपक्षी दलों के आक्रमण की घटनाएँ भी घटीं, जिससे स्थानीय स्तर पर हिंसा फैली।

परिणाम:

"भारत छोड़ो आंदोलन" ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम को एक नई दिशा में ले जाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, और इसने ब्रिटिश साम्राज्य को भारत से ब्रिटिश हुकमत को समाप्त करने की मांग को मजबूत किया। इस आंदोलन ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम को एक नई दिशा में ले जाने का संकेत दिया और बाद में स्वतंत्रता संग्राम की स्थिति को मजबूत किया। इसके बाद, ब्रिटिश सरकार ने खुद को भारत से अलग करने का फैसला किया और 1947 में भारत को स्वतंत्रता प्राप्त हो गई।

महात्मा गांधी का सामाजिक जीवन (Social life of Mahatma Gandhi)

महात्मा गांधी का सामाजिक जीवन (Social life of Mahatma Gandhi)  उनके व्यक्तिगत और सामाजिक दृष्टिकोण की प्रमुख विशेषताओं में से एक था। वे एक महान भारतीय नेता थे जिन्होंने अपने जीवन में सामाजिक समर्पण और सेवा की दिशा में अपना समय और ऊर्जा दिया।

महात्मा गांधी के सामाजिक जीवन के महत्वपूर्ण पहलु निम्नलिखित हैं:

  • हमारा ग्राम: महात्मा गांधी ने अपने जीवन के आधे हिस्से को गांवों में बिताया और उन्होंने अपने आस-पास के लोगों के साथ जीवन व्यतीत किया। उन्होंने अद्भुत तरीके से ग्रामीण समृद्धि की ओर काम किया और स्वदेशी आंदोलन के दौरान ग्रामीणों को स्वावलंबी बनाने के लिए समर्पित हो गए।

  • आश्रम जीवन: महात्मा गांधी ने सबरमती आश्रम और वार्धा आश्रम जैसे आश्रमों में रहकर सामाजिक सेवा और सत्याग्रह के बारे में जाना। उन्होंने आश्रम में रहकर अपने अनुयायियों के साथ जीवन व्यतीत किया और सामाजिक परिवर्तन के लिए संगठन कार्य किया।

  • हरिजनों के प्रति समर्पण: महात्मा गांधी ने अपने जीवन में दलितों या "हरिजनों" के समर्पण का प्रतिक्रिया किया। वे उनके समाज में समानता के साथ जीवन-यापन करे। और वे भेदभाव के खिलाफ थे और इसके लिए जीवन भर संघर्ष किया।

  • सफाई अभियान: महात्मा गांधी ने स्वच्छता के महत्व को समझते हुए सफाई अभियान की शुरुआत की और लोगों को स्वच्छता की महत्वपूर्ण भूमिका का पालन करने के लिए प्रोत्साहित किया।

  • सामाजिक समर्थन: उन्होंने अपार सामाजिक समर्थन दिया, विशेष रूप से आर्थिक दृष्टिकोण से कमजोर लोगों को आर्थिक रूप से सशक्त करने के लिए कई योजनाएं बनाई।

  • सहयोगी प्रणाली: महात्मा गांधी ने सहयोगी प्रणाली की महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जिसमें वे स्वतंत्रता संग्रामी टीम के सदस्यों के साथ मिलकर काम किये। उन्होंने समर्पित साथियों की संघ की नींव रखी और सामाजिक सेवा में उनका साथ दिया।

महात्मा गांधी का सामाजिक जीवन उनके अद्भुत और महान कार्यों का हिस्सा था और उन्होंने अपने जीवन में सामाजिक समर्पण के माध्यम से भारतीय समाज को सुधारने के लिए पूरी तरह से समर्पित किया।

"छुआछूत को दूर करना" (Abolition of Untouchability)


"छुआछूत को दूर करना" (Abolition of Untouchability) महात्मा गांधी के नेतृत्व में भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का महत्वपूर्ण और सामाजिक हिस्सा था। छुआछूत एक अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण प्रथा थी जिसमें दलितों "हरिजनों" को समाज से बाहर रखा जाता था और उन्हें उच्च वर्णों के साथ समाज के अलग-अलग अंशों से वंचित किया जाता था। महात्मा गांधी ने इस अन्याय के खिलाफ सख्त रूप से आवाज बुलंद की और छुआछूत को दूर करने के लिए कई प्रमुख कदम उठाए:

  • हरिजन सभा की स्थापना: महात्मा गांधी ने "हरिजन सभा" (The Harijan Sevak Sangh) की स्थापना की, जिसका उद्देश्य था दलितों के सामाजिक और आर्थिक सुधारना। इस संगठन के माध्यम से वे छुआछूत के खिलाफ जागरूकता फैलाने में मदद करते थे।

  • हरिजन के साथ आत्म-सेवा: महात्मा गांधी ने छुआछूत के विरुद्ध आपसी सहयोग को बढ़ावा दिया और अपने आश्रम में जातिवाद और छुआछूत के खिलाफ एक साथ रहकर दिखाया। महात्मा गांधी ने दलितों के लिए सामाजिक और आर्थिक सुधार की पहल के रूप में विशेष रूप से "हरिजनों" को समुद्र किनारे के जल का अधिकार दिलाने के लिए कई आंदोलन आयोजित किए।

  • हरिजनों के पढ़ाई-लिखाई के लिए समर्थन: वे छुआछूत के लोगों के लिए शिक्षा के अधिकार की बढ़ावना करते थे और उनके लिए शिक्षा के संबंध में विभिन्न कदम उठाते थे।

  • हरिजनों के साथ आहर आंदोलन: महात्मा गांधी ने छुआछूत के लोगों के साथ आहर आंदोलन किया, जिसमें उन्होंने उनके लिए उच्च वर्णों द्वारा तैयार किए जाने वाले भोजन को खाने के लिए अधिकार की मांग की।

महात्मा गांधी के प्रयासों के परिणामस्वरूप, छुआछूत को दूर करने के लिए कई सामाजिक और सांस्कृतिक परिवर्तन हुए, और दलित समुदाय को समाज में समानता की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम मिला।

महात्मा गाँधी की जीवन की प्रमुख पुस्तके:

महात्मा गांधी ने अपने जीवन में कई पुस्तकों को लिखा, जिनमें उन्होंने अपने विचारों, सामाजिक मुद्दों, नैतिकता, स्वदेशी आंदोलन, आध्यात्मिकता और सत्याग्रह के मुद्दों पर अपने दृष्टिकोण प्रकट किए। यहां कुछ प्रमुख पुस्तकों के नाम हैं:

  • हिन्द स्वराज्य (Hind Swaraj): यह पुस्तक महात्मा गांधी की स्वराज्य और स्वदेशी के विचारों को व्यक्त करती है। इसमें वे भारतीय समाज की समस्याओं के समाधान की ओर अपने दृष्टिकोण प्रस्तुत करते हैं।

  • सत्य के प्रति मेरा आक्रोश (My Experiments with Truth): यह आत्मकथा है जिसमें महात्मा गांधी ने अपने जीवन की कई महत्वपूर्ण घटनाओं के बारे में लिखा है। इसमें उन्होंने अपने आत्म-अनुभवों को साझा किया है और उनके सत्याग्रह और आध्यात्मिक दृष्टिकोण की प्रक्रिया का वर्णन किया है।


  • भ्रष्टाचार की एक नयी परिभाषा (A New Definition of Corruption): इस पुस्तक में महात्मा गांधी ने भ्रष्टाचार के खिलाफ अपने दृष्टिकोण को प्रस्तुत किया है और सशक्त और ईमानदार नेतृत्व की महत्वपूर्णता पर बल दिया है।

  • सत्य के स्नेही (Lovers of Truth): इस पुस्तक में गांधीजी ने विभिन्न धर्मों, आध्यात्मिकता और सत्य के अंशों पर अपने विचार प्रस्तुत किए हैं और यह कैसे लोगों को साझा करने चाहिए, इस पर बताया है।

  • सत्याग्रह की महता (The Power of Nonviolence): इस पुस्तक में महात्मा गांधी ने अहिंसा और सत्याग्रह के सिद्धांतों पर अपने दृष्टिकोण को व्यक्त किया है और उनके महत्व को समझाया है।

महात्मा गांधी की पुस्तकें उनके विचारों और दृष्टिकोण को समझने के लिए महत्वपूर्ण हैं और वे उनके जीवन और दर्शन का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं।


महात्मा गांधी के बारे में कुछ रोचक तथ्य:

  • सादगी का प्रतीक: महात्मा गांधी ने सद्गी का मानक बनाया और उनका अपने जीवन में खान-पान, पहनावा और आवास आदि में बड़ा महत्व था। उनके पसंदीदा वस्त्र में धोती और लोई कोट शामिल थे।

  • खिलाफत आंदोलन में सहयोग: महात्मा गांधी ने खिलाफत आंदोलन के समय में मुस्लिम समुदाय के साथ सहयोग किया और उनके मुद्दों का समर्थन किया। गांधीजी ने अपने जीवन में कई बार अनशन से उपवास और तपस्या की। उनकी शक्ति और सहनशीलता ने उन्हें सत्याग्रह की दिशा में आगे बढ़ने में मदद की।

  • असहयोग आंदोलन के बाद चुप्प: महात्मा गांधी छुआछूत के दूर करने के लिए जब गांधीजी ने असहयोग आंदोलन को बंद कर दिया, तब एक वर्ष के लिए वे चुप्प रहे, जिसे 'मौन व्रत' कहा जाता है।

  • आखिरी बातचीत: महात्मा गांधी की आखिरी बातचीत की अवधि, जिसे 'बी' के नाम से भी जाना जाता है, एक अक्टूबर 1947 को आयोजित की गई थी। इसमें वे भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की दिशा में दी गई सिफारिशों पर चर्चा कर रहे थे।

  • आध्यात्मिकता का महत्व: गांधीजी की आध्यात्मिकता उनके विचारों और क्रियाओं का मौलिक हिस्सा थी। वे अपने आदर्शों में ध्यानधारणा, प्रार्थना और सेवा के महत्व को स्थापित करते थे।

  • नोबेल शांति पुरस्कार का अस्वीकार: महात्मा गांधी को 1948 में नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया, लेकिन उन्होंने इसे नहीं स्वीकार किया। गांधीजी ने अपने जीवन में हिंदी के प्रति गहरा प्रेम रखा था और वे हिंदी का प्रचार करने में समर्थ थे।

  • मृत्यु की तारीख: महात्मा गांधी का बलिदान 30 जनवरी 1948 को हुआ, जब उन्हें नथूराम गोडसे द्वारा नथूराम गोडसे द्वारा गोली मार दी गई। वे गांधी जी के प्रिय भजन "हे राघव" का अधिक आस्थान देते थे।

ये थे कुछ रोचक तथ्य महात्मा गांधी के बारे में, जिनका उनके जीवन और स्वतंत्रता संग्राम के क्षणों में महत्वपूर्ण योगदान था।

राष्ट्रपिता का ख़िताब (Father of Nation)

"राष्ट्रपिता" (Father of the Nation) श्री मोहनदास करमचंद गांधी (Mahatma Mohandas Karamchand Gandhi) को भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के प्रमुख और उनके महात्मा की उपास्यता के बाद दिया गया था। महात्मा गांधी को राष्ट्रपिता का खिताब सरकार ने नहीं दिया बल्कि सुभाष चंद्र बोस ने राष्ट्रपिता कह कर संबोधित किया था। इस खिताब से गांधीजी को भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के प्रेरणास्त्रोत, महान नेता, और भारतीय जनता के पिता के रूप में स्वीकार किया जाता है। गांधीजी ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के दौरान अपने अद्भुत नेतृत्व, अहिंसा के सिद्धांत, सत्याग्रह का प्रयोग, और सामाजिक न्याय के प्रति अपने पूर्ण समर्पण के साथ देश को स्वतंत्रता दिलाने का मार्ग दिखाया। उनका योगदान और उनके सिद्धांत दुनिया भर के लोगों के दिलों में गहरी छाप छोड़ी हैं और इसी कारण उन्हें "राष्ट्रपिता" (Father of the Nation) का सम्मान दिया गया है।


FAQ



प्रश्न-1 महात्मा गांधी ने अपने जीवन में क्या क्या किया?

ये केवल कुछ कार्य हैं, और महात्मा गांधी के जीवन में (चम्पारण सत्यग्रह, नमक सत्यग्रह, असहयोग आंदोलन, खिलाफत आंदोलन, भारत छोड़ो आंदोलन, भारतीय स्वतंत्र संग्राम का नेतृत्व, अहिंसा के सिद्धान इत्यदि) और भी अनगिनत गर्वयोग्य कार्य और योगदान थे। उनका योगदान भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के लिए महत्वपूर्ण था और उन्होंने आध्यात्मिकता, अहिंसा, सत्य, और सेवा के मूल्यों को जीवन में लागू किया।

प्रश्न-2 नोट पर गांधी जी का फोटो क्यों होता है?

उनका फोटो नोटों पर होता है क्योंकि यह एक तरह का सम्मान और उनके योगदान का प्रतीक होता है। उनके विचारधारा, अहिंसा, सत्याग्रह, स्वदेशी आंदोलन, और समाज में सामाजिक न्याय के प्रति उनकी प्रतिबद्धता का प्रतीक भी है।

प्रश्न-3  महात्मा गांधी महान क्यों थे?

महात्मा गांधी को महान बनाने वाले कई कारण हैं, जिनमें उनके नेतृत्व, आदर्श, और क्रियाओं का महत्वपूर्ण योगदान शामिल है: जैसे- अहिंसा का प्रणेता,सत्याग्रह के प्रणेता,स्वदेशी आंदोलन के नेता, सामाजिक न्याय के प्रणेता, राष्ट्रीय एकता का प्रतीक,स्वतंत्रता संग्राम के महान नेता,विश्व शांति के प्रति समर्पण,स्वतंत्रता संग्राम के महत्वपूर्ण चरणों का हिस्सा इत्यदि काम थे उनके जो उन्हे महान बनाते है।

प्रश्न-4 महात्मा गांधी कितनी बार जेल जा चुके हैं?

महात्मा गांधी ने अपने जीवन के दौरान कई बार जेल जाने का अनुभव किया। उन्होंने अपने सत्याग्रह और स्वतंत्रता संग्राम के लिए जेल जाने का अपना सिद्धांत "जेल जाना ही सत्याग्रह का हिस्सा है" बनाया था। उनके जेल जाने के कुछ महत्वपूर्ण अवसर जैसे चम्पारण सत्याग्रह, असहयोग आंदोलन, सविनय अवज्ञा आंदोलन, भारत छोड़ो आंदोलन जैसे कार्यों में 6 से ज्यादा बार वह जेल गये।

प्रश्न-5 महात्मा गांधी के कितने बच्चे हैं?

महात्मा गांधी और कस्तूरबा गांधी के चार पुत्र थे। उनके नाम थे:

हरिलाल गांधी, मनीलाल गांधी, रामदास गांधी, देवदास गांधी, और मात्र एक बेटी थी जिनका नाम- मनुबेना गाँधी था। महात्मा गांधी के बच्चों ने उनके आदर्शों का पालन किया और स्वतंत्रता संग्राम में भी भाग लिया, लेकिन उनकी आदर्शों और मूल्यों का पालन नहीं किया।

प्रश्न-6 महात्मा गांधी भारत कब आया?

महात्मा गांधी भारत 9 जनवरी 1915 को आए थे। उन्होंने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के नेता बनकर भारत के स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने भारत के आजादी के लिए अपने पूरे जीवन को समर्पित किया और अहिंसा, सत्याग्रह, और सामाजिक न्याय के मूल्यों का पालन किया।

प्रश्न-7 महात्मा गांधी की शादी कितनी उम्र में हुई थी?
   
महात्मा गांधी की शादी किशोराबाई मकनजी कपड़िया (कस्तूरबा गांधी के नाम से प्रसिद्ध) से 13 मई 1883 को हुई थी, जब वह 13 वर्षीय थे। इसके बाद, गांधीजी और कस्तूरबा गांधी ने एक साथ अपना जीवन बिताया और उनके योगदान का हिस्सा बने।

प्रश्न-8 गांधी जी को किसने और क्यों मारा?

महात्मा गांधी का बलिदान 30 जनवरी 1948 को हुआ था, जब उन्हें नथूराम गोडसे द्वारा न्याय के नाम पर बगदाद विज्ञान कोलेज, नई दिल्ली में गोली मार दी गई। गोडसे का कारण था उनकी आपत्ति महात्मा गांधी के भारत-पाक विभाजन के तरीके के प्रति।

प्रश्न-9 गांधी जी पहले कौन थे?

महात्मा गांधी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को पोरबंदर, कठियावाड़, गुजरात, भारत में हुआ था। उनका पूरा नाम मोहनदास करमचंद गांधी था। वे भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के महान नेता और भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के पिता के रूप में माने जाते हैं।

प्रश्न-10 महात्मा गाँदी के कितने बंदर थे?

महात्मा गांधी के पास कुल मिलाकर चार बंदर थे। ये बंदर उनके प्रिय पालतू हाथी के नामों से थे:

राम: यह पहला बंदर था, जो गांधीजी के साथ उनके साथियों ने एफ्रिका में पाला था।

सिता: यह दूसरा बंदर था, जिसे उन्होंने साबरमती आश्रम में रखा था।

मोती: यह तीसरा बंदर था, जो सबरमती आश्रम में रहता था और उन्होंने इसे "मानवता" नामकिया था।

बाबा: यह चौथा बंदर था, जो सबरमती आश्रम में रहता था और उसका उपनाम "रामू" था।

गांधीजी के बंदर उनके जीवन के महत्वपूर्ण हिस्से बने और वे उनके साथ उनकी साथियों की तरह रहते थे।

















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